22.02.2013/दिल्ली
राजनीति
में काम करने से अधिक महत्वपूर्ण है, काम करते हुए दिखना । यही ‘राजनीति’ का तकाजा
है । सब कुछ इसी ‘दिखने’ पर केन्द्रित होता है । प्रायः बेहतर विचारधारा का दावा
करने वाले भी इस अधिक महत्वपूर्ण को कम महत्वपूर्ण बनाने की इच्छा नहीं रखते ।
बेहतर विचारधारा और ईमानदारी का कोई मजबूत रिश्ता हो, यह जरूरी भी तो नहीं है ।
___________________________
25.03.2013/दिल्ली
ऑस्कर
अवार्ड समारोह से जुड़ी एक रिपोर्टिंग में उसके कुछ फुटेज टीवी पर दिखाए जा रहे थे
। मैने गौर किया कि हमारे यहाँ के फिल्म पुरस्कारों के समारोह भी इसी तर्ज पर
आयोजित होते हैं । हू-ब-हू । यहाँ तक की हँसने का अंदाज तक कॉपी होता है ।
मौलिकता
से हमारा इतना अधिक बैर क्यों है और जिस पश्चिम के हम गुलाम रहे, वह हमारे दिल के
इतने करीब क्यों है ? हम अपनी भाव-भंगिमा तक आयात करने लगे हैं ।
जब
हम ब्रिटेन के उपनिवेश हुआ करते थे तब वहाँ की अभिजात्य संस्कृति हमारे यहाँ की
अभिजात्य संस्कृति में कॉपी पेस्ट हो गयी । एक नई संस्कृति बनी । हीनताबोध से उपजी
संस्कृति । यहाँ के बड़े लोगों को वहाँ के बड़े लोगों ने बताया तुम सब असभ्य हो ।
यहाँ के बड़े लोग सभ्य बनते चले गये । साहेब लोगों के साथ बैठ कर उन्हें फ़क्र हुआ
करता था । इन बड़े लोगों ने छोटों से कहा तुम सब असभ्य हो ! सभ्य बनते जाने की
प्रक्रिया बदस्तूर जारी है ।
उच्च
वर्ग की संस्कृति हंता संस्कृति है । अंग्रेजों ने सांस्कृतिक साम्राज्यवाद के
ताक़तवर झंडाबरदारों का एक बड़ा कुनबा अपने जाने से पहले सफलतापूर्वक तैयार कर
लिया था । यह कुनबा बढ़ता ही जा रहा है । यह यूँ ही आबाद होता रहेगा ?
___________________________
07.02.2016/
हैदराबाद
[प्रसंग-1]
यह
दुनिया हर मोर्चे पर धूर्त लोगों की है । अवसरवादियों की है । मारने वाला धूर्त,
बचाने की बात करने वाला धूर्त । धूर्त धूर्त धूर्त । अखबारों के कॉलम उनके । विचार
उनके । प्रगतिशीलता उनकी । प्रतिरोध उनका । पीएचडी उनकी । प्रोफेसरी उनकी ।
पत्रकारिता उनकी । पूँजी उनकी । कविता उनकी । आलोचना उनकी । पत्रिका उनकी ।
प्रकाशन उनका ।
जो
धूर्त हैं, जिन्हें दुनिया धूर्त कहती है ख़तरा उनसे बहुत नहीं है । लोग उनसे
सतर्क रहते हैं । जो धूर्त लोगों से लड़ने का दावा करते हैं, और धूर्त हैं, असल
ख़तरा उन लोगों से है । सूडो फाइटिंग का हमें आनंद लेते रहना चाहिए? सारा खेल ही
धूर्तों के बीच का है !
[प्रसंग-2]
कायदे
से मोदी विरोधी कौन है ? वह तो कतई नहीं जो मोदी के विरोध में लिखता है बोलता है
भाषण देता है और अपने निकटतम मोदियों से हित-साधन-समझौते कर रहा है !
*******************
No comments:
Post a Comment